By Shivani Uppal
हिंदी का महत्व और भूमिका
हिंदी भाषा दुनिया की प्रमुख भाषाओं में से एक है और इसे भारत की पहचान के तौर पर भी देखा जा सकता है। हिंदी ना केवल संवाद का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, बल्कि भारत की संस्कृति और एकता की पहचान भी मानी जाती है। भारत समेत कई अन्य देशों में हिंदी बोली जाती है और विदेश में बसे भारतीयों को आपस में जोड़ने का काम करती है। हिंदी की भूमिका और महत्व काफी गहरा है और इसे बढ़ावा देने की जरूरत है।
हिंदी दिवस की तिथि और मनाने का कारण
साल में दो बार हिंदी दिवस मनाया जाता है। पहला हिंदी दिवस जनवरी महीने में मनाया जाता है, जिसे विश्व हिंदी दिवस के रूप में जाना जाता है और दूसरा हिंदी दिवस सितंबर महीने में मनाया जाता है। भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य है हिंदी के महत्व को प्रोत्साहित करना और इसकी अनदेखी को रोकना।
हिंदी दिवस के विशेष दिन
वैश्विक स्तर पर हिंदी को सम्मानित करने के लिए 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत में, हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन संविधान सभा ने 1949 में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था और पंडित नेहरू की सरकार ने 1953 में इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
हिंदी दिवस की शुरुआत और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत आज़ादी के बाद हुई, हालांकि इस दिन की नींव स्वतंत्रता से पहले 1946 में रखी गई थी। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया और पहली आधिकारिक हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया।
हिंदी भाषा और इसके प्रचार का उद्देश्य
भारत में 22 भाषाएं और 70,000 लिपियाँ हैं, लेकिन हिंदी एक ऐसी भाषा है जो देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जोड़ती है। हिंदी के प्रचलन में कमी और अंग्रेजी के बढ़ते महत्व को देखते हुए, हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है ताकि हिंदी के महत्व को बढ़ावा दिया जा सके और आने वाली पीढ़ियों को हिंदी के प्रति प्रेरित किया जा सके।
महात्मा गांधी की दृष्टि और हिंदी की स्थिति
महात्मा गांधी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का सुझाव दिया था। हालांकि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, लेकिन भारत की राजभाषा के रूप में इसे मान्यता प्राप्त है। हिंदी दिवस मनाने का एक प्रमुख उद्देश्य हिंदी भाषा को उसकी उचित जगह दिलाना और इसके प्रचलन को बनाए रखना है।