उत्तरकाशी: ऐतिहासिक मंदिरों और धार्मिक परंपराओं की धरती

उत्तरकाशी के प्रमुख मंदिर
by Arti panwar


उत्तरकाशी उत्तराखंड राज्य का एक ऐसा जिला जिसकी प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए आए दिन हजारों सैलानियों का आगमन होता रहता है l उत्तरकाशी को वैदिक काल से ही पवित्र एवं पुण्य भूमि के रूप में पूजा जाता है, इसके साथ ही उत्तरकाशी में कई प्रसिद्ध एवं दार्शनिक स्थान आते हैं जो इसकी धार्मिकता और खूबसूरती को और अधिक बढ़ा देते हैं l आज के इस लेख में हम ऐसे ही दार्शनिक प्रमुख मंदिरों की एक खूबसूरत यात्रा करने जा रहे हैं, जिससे हमें उत्तरकाशी को बेहतर तरीके से जानने में मदद मिलेगी l इस यात्रा में हमें यहां के खास मुख्य मंदिरों के बारे में महत्वपूर्ण सूचनाएं एवं दर्शन की प्राप्ति होगी,और साथ ही में मंदिरों के सौंदर्य का अनुभव भी l अपनी इस धार्मिक यात्रा का शुभारंभ प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ के दर्शन कर के करेंगे l

आइये सर्वप्रथम दर्शन करते हैं भगवान श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का –

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर-

Kashivishwanth Temple in Uttarkashi with a tall spire and detailed carvings. The temple is surrounded by green hills and has a peaceful, scenic backdrop."
Kashivishwanth Temple in Uttarkashi with a tall spire and detailed carvings. The temple is surrounded by green hills and has a peaceful, scenic backdrop."
Kashi vishwanth Temple in Uttarkashi

उत्तरकाशी का सबसे प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिरों में से एक है l भगवान शिव को समर्पित मंदिर चारों ओर से पहाड़ों की खूबसूरत वादियों से गिरा हुआ, उत्तरकाशी शहर के मध्य में भागीरथी नदी तट पर स्थित है l मंदिर देखने में बेहद सुंदर और जटिल कलाकृति से भरा है, जिसकी स्थापना शुरुआत में ऋषि परशुराम ने की थी l इसी के साथ कुछ समय पश्चात 1857 में महाराजा सुदर्शन की पत्नी महारानी खनेती ने मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार किया l विश्वनाथ मंदिर में प्राचीन वास्तु कला का बेहद खूबसूरत उदाहरण देखने को मिलता है l मंदिर के गर्भ ग्रह के दर्शन मंदिर के गर्भ ग्रह में जाने पर 56 सेंटीमीटर ऊंचे शिवलिंग के रूप में विराजमान भगवान शिव के दर्शन होते हैं, शिवलिंग दक्षिण दिशा की ओर अधिक झुकाव रखता है, तथा इसी के साथ गर्भ ग्रह में मां पार्वती एवं रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश जी के भव्य दर्शन भी होते हैं l मंदिर में प्रतिदिन आरती एवं शिव अभिषेक किया जाता है, इसी के साथ महाशिवरात्रि में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन भी देखने को मिलता है l
शक्ति मंदिर श्री विश्वनाथ मंदिर के सामने मां पार्वती को समर्पित एक भव्य एवं सौंदर्य से भरपूर मंदिर के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है l शक्ति मंदिर का प्रमुख आकर्षण केंद्र मंदिर का विशाल व भारी त्रिशूल है , जिसकी लम्बाई करीबन 6 मीटर है lइसी के साथ बात करें त्रिशूल की पौराणिकता की तो त्रिशूल को लगभग 1500 वर्ष से भी अधिक पूर्व का बताया जाता है, एवं उत्तराखंड के सबसे प्राचीन अवशेषों में से एक माना जाता है l त्रिशूल की एक बेहद खास आकर्षक बात है कि त्रिशूल पर नाग वंश का बेहद खूबसूरत तरीके से विवरण मिलता है l इसके कारण आए दिन यहां सैलानियों की भीड़ देखने को मिलती है l कहा जाता है कि भगवान श्री विश्वनाथ के दर्शन के पश्चात, मां शक्ति के दर्शन अवश्य ही करनी चाहिए l तभी जाकर आपकी यात्रा को सफल माना जाता है l बेहद मनमोहक श्री काशी विश्वनाथ एवं मां शक्ति मंदिर के दर्शन करने के पश्चात अब बात करते हैं उत्तरकाशी के एक और दार्शनिक गंगोत्री मंदिर की –

गंगोत्री मंदिर-

A panoramic view of the Gangotri Temple in Uttarkashi, nestled amidst snow-capped Himalayan peaks. The temple, with its white and pink façade, stands at the base of the towering mountains. The clear blue sky and lush green landscape around the temple highlight its serene and sacred environment
A panoramic view of the Gangotri Temple in Uttarkashi, nestled amidst snow-capped Himalayan peaks. The temple, with its white and pink façade, stands at the base of the towering mountains. The clear blue sky and lush green landscape around the temple highlight its serene and sacred environment

गंगोत्री मंदिर सबसे पवित्र नदी मां गंगा को समर्पित एक सुंदर और भव्य मंदिर है, जो उत्तराखंड के चारों धामों में से एक होने का गौरव रखता है l मंदिर समुद्र तल से लगभग 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है l मंदिर का निर्माण अमर सिंह थापा के द्वारा किया गया है, एवं मंदिर को पवित्रता के प्रतीक सफेद रंग की ग्रेनाइट के बेहद ही चमकदार 20 फीट ऊंचे पत्थरों से निर्मित किया गया है, इसी के साथ गंगोत्री मंदिर से लगभग 19km पर पवित्र स्थान गोमुख स्थित है , जो चारों ओर से भोज वृक्षों से गिरा हुआ बेहद ही मनमोहन दिखता है lइसी स्थान से मां गंगा का उद्गम होता है l गंगोत्री में मां गंगा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का आगमन मंदिर में अक्षय तृतीया के पावन दिन से शुरू हो जाते हैं, इसी दिन मां गंगा के कपाट खोले जाते हैं, एवं कपाट दीपावली में बंद कर दिए जाते हैं l परंतु इसके पश्चात भी यहां यात्रियों की भीड़ में कोई खास कमी नहीं देखी जाती है, कहा जाता है कि गंगोत्री वही स्थान है जिस स्थान पर भगवान शिव ने मां गंगा को अपने जटाओं में समेटा था, आज भी शीतकाल में मां गंगा के जल का स्तर कम होने के दौरान इस पवित्र शिवलिंग के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है l गंगोत्री में मां गंगा के अतिरिक्त सूर्यकुंड गौरीकुंड एवं श्री गणेश के प्राकृतिक एवं अद्भुत दर्शन होते हैं l इतने पवित्र एवं दिव्य सौंदर्य से भरे मंदिर को देखने के लिए एक बार अवश्य जाना चाहिए l अपनी यात्रा को आगे बढ़ते हुए अब दर्शन करते हैं उत्तरकाशी की एक और प्रमुख चार धाम में से एक धाम यमुनोत्री मंदिर की-http://saumyakashi.in/aarti-darshan-shri-gangotri-dham/

यमुनोत्री मंदिर-

"Yamnotri Temple, nestled in the Himalayas, features a traditional Hindu design with a colorful façade and ornate carvings. The temple is set against a dramatic backdrop of snow-capped peaks and lush, green valleys, creating a serene and majestic atmosphere."
“Yamnotri Temple, nestled in the Himalayas, features a traditional Hindu design with a colorful façade and ornate carvings. The temple is set against a dramatic backdrop of snow-capped peaks and lush, green valleys, creating a serene and majestic atmosphere.”
“Yamnotri Temple

मां यमुना जी को समर्पित, समुद्र तल से लगभग 3235 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा उत्तराखंड के चारों धाम में से एक धाम यमुनोत्री को माना जाता है l यमुनोत्री में स्थित माँ यमुना के भव्य मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने किया है l मंदिर की खूबसूरती के साथ,मंदिर के प्रांगण में एक विशाल स्तंभ है,जिसे दिव्य शिला के नाम से जाना जाता हैl इसी के साथ यहां तप कुंड एवं गर्म पानी के स्रोत, सूर्यकुंड के दिव्य दर्शन होते हैं l यमुनोत्री मार्ग की बात करें तो यमुनोत्री से कुछ पहले हमें भैरोघाटी के दर्शन होते हैं l भारत के शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जब पांडवों ने अपनी तीर्थ यात्रा का शुभारंभ किया तो सर्वप्रथम उन्होंने यमुनोत्री धाम के ही दर्शन किए थे l गंगोत्री धाम की तरह यमुनोत्री धाम के द्वार भी अक्षय तृतीया के पवित्र दिन से ही श्रद्धालुओं के लिए खुल जाते हैं l यमुनोत्री के दिव्य दर्शन के पश्चात यात्रा को आगे बढ़ते हुए बात करते हैं श्री जगन्नाथ मंदिर की-

श्री जगन्नाथ मंदिर

Jagganath Temple in Uttarkashi.
Jagganath Temple in Uttarkashi.

श्री जगन्नाथ मंदिर,उत्तरकाशी मुख्य बाजार से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर साल्ड नामक गाँव में राजसी हिमालय के बीच स्थित अद्भुत शक्तियों से भरे एवं मनोकामना पूर्ण करता श्री हरि विष्णु को समर्पित भव्य मंदिर है l जगन्नाथ मंदिर चारों ओर से खूबसूरत देवदार के वृझो से गिरा हुआ अपने आप में ही सौंदर्य का अनोखा उदाहरण है l पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है, कि दार्शनिक एवं धर्म शास्त्री आदि शंकराचार्य जी ने भगवान जगन्नाथ की दबी हुई मूर्ति की खोज की थी l और इसके बाद उन्होंने मूर्ति की स्थापना के लिए भगवान जगन्नाथ के मंदिर का निर्माण किया l मंदिर की आयु लगभग 100 साल मानी जाती हैl मंदिर बेहद भव्य एवं जटिल नक्काशी और जीवत रंगों सें सुसज्जित किया गया है l भगवान जगन्नाथ का मंदिर अपनी वास्तु कला के लिए भी प्रसिद्ध माना जाता है lExploring the Vibrant Essence of Village Sald Through its Temple Fair at the Lord Jagannath Temple

Jagganath Temple in Uttarkashi

मंदिर के गर्भ ग्रह में भगवान श्री जगन्नाथ की दिव्य मूर्ति के दर्शन होते हैं, इस क्षेत्र में आने वाले सभी गांव के निवासियों की भगवान जगन्नाथ पर अटूट श्रद्धा हैं, वे अपने हर मांगलिक कार्य को भगवान जगन्नाथ की आज्ञा एवं आशीर्वाद लेने के पश्चात ही शुरू करते हैं l भगवान जगन्नाथ अपनी आज्ञा को ढोल के माध्यम सें बताते हैं l

इसी के साथ मंदिर में प्रत्येक वर्ष एक बेहद ही सांस्कृतिक एवं आकर्षक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे भंडानी कहते हैं l मेला वैशाख माह (अप्रैल) की नौ गति को आयोजित किया जाता हैं l जिसमें गांव के सभी लोग मिलकर रांसु तांदी जैसे सांस्कृतिक नृत्य को करते हुए मेले का आनंद लेते हैं l इस प्रकार कह सकते है की श्री भगवान जगन्नाथ के मंदिर में स्वयं श्री हरि के दर्शन के अलावा प्राकृतिक सौंदर्य और उत्तराखंड की संस्कृति की उपस्थिति का एक अनोखा उदाहरण है l मंदिरों की इस पवित्र यात्रा को आगे बढ़ातें हुए दर्शन करते हैं एक और प्रसिद्ध एवं मुख्य मंदिर कंडार देवता मंदिर की….

श्री कंडार देवता मंदिर-

श्री कंडार देवता
श्री कंडार देवता

उत्तरकाशी मुख्य जिले से लगभग 13 किलोमीटर दूरी पर बसे गांव संग्राली में भगवान कंडार देवता का मनमोहन मंदिर है l भगवान कंडार देवता गाँव और पूरे उत्तरकाशी में भक्तों के न्याय जज के रूप में बहु चर्चित हैं l बात करें संग्राली की गांव के लोगों की तो वे अपने जीवन के सभी कार्यों को करने से पहले भगवान कंडार देवता को अवश्य ही पूछते हैं ,एवं उनका फैसला ही उनके लिए सर्वमान्य होता है l भगवान कंडार देवता न्याय देवता के साथ ज्योतिष के रूप में भी पूरे जिले में बहुचर्चित हैं l जिनके पास विवाह या फिर अन्य किसी भी कार्य से संबंधित सभी समस्याओं का हाल होता है l इसी के साथ संग्राली के भव्य मंदिर में हर साल एक दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है,जिसे भंडानी कहते हैं l इस मेले में यहां के क्षेत्र के सभी लोग सांस्कृतिक वेशभूषा के साथ अपने संस्कृत से जुड़े हुए नृत्य को करते हुए मेले का आनंद लेते हैं l मेले में देवता के दर्शन डोली के रूप में आमतौर पर होते हैं l भगवान कंडार देवता का मंदिर एक और मंदिर, संग्राली गाँव के आलावा उत्तरकाशी के मुख्य बाजार में भी स्थापित हैं, जो देखने में बेहद ही सुंदर और पवित्र हैं l न्याय के देवता भगवान कंडार के दर्शन करने के बाद अपनी इस यात्रा के समापन की और बढ़ते हुए अब दर्शन करते हैं एक और बहु चर्चित मंदिर की माँ कुटेती देवी मंदिर की..


माँ कुटेटी देवी मंदिर-

Kuteti Devi Temple in Uttarkashi.
Kuteti Devi Temple in Uttarkashi,    Nestled amid vibrant green forests and rolling hills, the temple exudes a serene, almost mystical atmosphere, framed by the natural beauty of the landscape.
Kuteti Devi Temple in Uttarkashi, Nestled amid vibrant green forests and rolling hills, the temple exudes a serene, almost mystical atmosphere, framed by the natural beauty of the landscape.

माँ कुटेटी देवी मंदिर

माँ कुटेटी मंदिर, उत्तरकाशी शहर से लबगांव एवं केदारनाथ मार्ग से लगभग 3 km की दूरी पर स्थित माँ कुटेटी का प्रमुख सिद्धपीठ है, मां को राजस्थान की देवी भी कहा जाता है, पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि, राजस्थान के राजा, जब एक बार गंगोत्री धाम की यात्रा पर आए तो राजा कई दिन तक उत्तरकाशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए रुके l और इन दिनों में उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह एक स्थानीय युवक से कर दिया l राजा की पुत्री जब अपने घर बार मां-बाप से दूर हुई तो इस कारण बहुत ज्यादा दुखी रहने लगी l इस दुख को देखकर उनके कुल की भगवती मां को कुटेटी ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए, और अपनी स्थापना करने को कहा l राजा की पुत्री ने मां के बताए हुए स्थान पर जाकर देखा तो वहां पर मां के तीन अलौकिक पत्थर मिले, इसके बाद राजा की पुत्री ने उस स्थान पर मां कुटेटी के मंदिर की स्थापना की l मां कुटेटी के चारों ओर बेहद ही सुन्दर प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलता हैl कहा जाता है कि जो भी मां के मंदिर में सच्चे मन से संतान प्राप्ति की अर्जी रखता है, उसकी मनोकामना बहुत ही जल्द पूर्ण हो जाती है l इसी के साथ मां के मंदिर में नवरात्रियों पर विशेष कीर्तन भजन और भंडारे का आयोजन किया जाता है l उत्तरकाशी के लोग मां कुटेटी पर विशेष आस्था रखते हैं l एवं साल के प्रत्येक नवरात्रि में माता के दर्शन लिए अवश्य ही जाते हैं l मां कुटेटी के दर्शन करने के बाद अपनी इस मंदिरों की यात्रा को यहीं पर समाप्त करतें हैं l

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