उत्तरकाशी अर्थात उत्तर का काशी, उत्तराखंड राज्य के हिमालयन रेंज पर समुद्र तल से लगभग 1150 मीटर की ऊंचाई और 8.016 किलोमीटर के क्षेत्र में अपना विस्तार रखते हुए भागीरथी नदी के तट पर बसा एक मनमोहक जनपद हैं l जिसे प्राचीन समय में बाड़ाहाट के नाम से भी जाना जाता था l
जिसका नाम सुनने मात्र से ही कानों में कहीं ना कहीं भोलेनाथ की डमरू की नाद और सांसों में उनकी महक आने लगती है, इसी मनमोहक वातावरण के साथ उत्तरकाशी उत्तर पश्चिम में हिमाचल प्रदेश,उत्तर पूर्व में तिब्बत, पूर्व में चमोली एवं दक्षिणी पूर्व में रुद्रप्रयाग, दक्षिण में टिहरी, दक्षिण पश्चिम में देहरादून के साथ अपनी सीमा को सांझा करते हुए स्वयं में एक विशेष जनपद का गौरव रखता है l इन सभी के साथ यदि उत्तरकाशी के इतिहास पर ध्यान केंद्रित किया जाए तो 1960 से पूर्व में उत्तरकाशी टिहरी गढ़वाल में सम्मिलित था l
24 फरवरी 1960 में इसे एक अलग जनपद होने का गौरव प्राप्त किया, उत्तरकाशी की भूमि को पवित्र मानते आए हैं, शास्त्रों के हिसाब से कहा जाता है कि उत्तर काशी में ऋषियों और मुनियों सांत्वना एवं आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है,
उत्तरकाशी में वैदिक भाषा को अन्य स्थानों की तुलना में अधिक बेहतर तरीके से बोली जाती है, अपनी इसी पवित्रता एवं ज्ञान की धरोहर को समटे हुए, उत्तरकाशी की मैदान की काशी अर्थात वाराणसी के समान ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है, पवित्रता और दर्शनिक स्थान की दृष्टि सें देखा जाये तों यहाँ का प्रमुख केंद्र भगवान शिव का भव्य मंदिर जो की विश्वनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, मंदिर जनपद के मुख्य शहर में स्थापित है, जहाँ हर साल हजारों की संख्या में भक्तों का आगमन होता रहता है l
इसी के साथ यहाँ के अन्य प्रमुख दार्शनिक स्थानों में गंगोत्री, गोमुख,नेलांग वेली,गरतांग गली,डोडीताल, दयारा बुग्याल,हर्षिल वेली, स्थान उत्तरकाशी के सौंदर्य में चार चाँद लगातें है, तों वहीं दूसरी और यहाँ की आर्थिक स्तर को भी बनाये रखते हैं , इन सभी विशेष स्थानों के साथ उत्तरकाशी अपने आप में पर्वतारोहण का परीक्षण देने वालें संस्थान “नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के लिए भी विश्व प्रसिद्ध है l इसी के साथ यहाँ के खानपान के बारे में जाना जाये तों यहाँ के अधिकांश भोजनालय में शाकाहारी भोजन ही बनाया जाता हैं, साथ ही यहाँ पर गढ़वाली भोजन को भी विशेष महत्व दिया जाता है, इसी महत्व के कारण आज उत्तरकाशी में गढ़वाली भोजन को एक सफल रोजगार के रूप में यहां के लोगों ने स्थापित किया है l
गढ़वाली भोजन वेशभूषा और संस्कृति के प्रति इतना प्रेम और समर्पण, यहां के निवासियों की विशेषता को स्पष्ट रूप से झलकता है l उत्तरकाशी की सौम्यता को देखकर इसे उत्तराखंड का अनछुआ सौंदर्य कहने में कुछ गलत नहीं होगा l https://en.wikipedia.org/wiki/Uttarkashi_district
उत्तराखंड के हिमालयन रेंज में बसा एक सुरमई नगर, अपनी अनछुई प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहां की ऊँची पहाड़ियाँ, शुद्ध नदियाँ, और पवित्र तीर्थ स्थल इसे एक विशेष स्थान प्रदान करते हैं। यह क्षेत्र न केवल आध्यात्मिक शांति का प्रतीक है, बल्कि पर्वतारोहण और साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए भी एक आदर्श स्थल है।
उत्तरकाशी की रहन-सहन, सांस्कृतिक धरोहर, और अद्वितीय खानपान इसकी विशेषताओं को और बढ़ाते हैं, जिससे यह एक अनछुए सौंदर्य का अनूठा अनुभव प्रस्तुत करता है।Saurav Foundation Hosts District-Level Speech Competition on Say No to Drugs, Yes to Sports.
एक अनछुआ सौंदर्य जिसे देखने के लिये हर किसी को एक बार तो जरूर जाना चाहिए l